मानव प्रकार्यों में व्यक्तिगत भिन्नताएँ | मनोवैज्ञानिक गुणों का मूल्यांकन

 मानव प्रकार्यों में व्यक्तिगत भिन्नताएँ


विभिन्न प्रजाति के प्राणियों में तथा किसी एक ही प्रजाति के प्राणियों में भी समान ढंग की वैयक्तिक भिन्नताएँ पाई जाती हैं। भिन्नताओं के कारण ही प्रकृति में आकर्षण तथा सौंदर्य होता है। एक क्षण के लिए अपने चतुर्दिक् ऐसे जगत की कल्पना करें जिसमें जरा सोचें कि सभी वस्तुएँ एक ही रंग की, लाल या नीली अथवा हरी हों तो दुनिया कैसी लगेगी। निश्चित ही वह सुंदर नहीं होगी। पूरी संभावना है कि आपका उत्तर नहीं होगा और न आप ऐसे संसार में रहना ही चाहेंगे । वस्तुओं की तरह ही मनुष्यों में भी विविधता पाई जाती है। प्रत्येक व्यक्ति में भिन्न-भिन्न विशेषकों का सम्मिश्रण होता है।


विचलनशीलता या विभिन्नता एक प्राकृतिक तथ्य है और व्यक्ति इसके अपवाद नहीं हैं। प्रत्येक व्यक्ति एक दूसरे से शारीरिक विशेषताओं जैसे ऊँचाई, वज़न, शक्ति, बालों का रंग आदि में भिन्न होता है। उनमें मनोवैज्ञानिक विशेषताओं में भी भिन्नताएँ पाई जाती हैं। वे अधिक या कम बुद्धिमान हो सकते हैं, प्रभावी या विनम्र हो सकते हैं, उच्च मात्रा में सर्जनशील या बिल्कुल भी सर्जनशील नहीं हो सकते हैं तथा जावक या विनिवर्तित हो सकते हैं  विभिन्नताओं की सूची

बहुत लंबी हो सकती है। किसी एक व्यक्ति में भिन्न-भिन्न विशेषकों की भिन्न-भिन्न मात्राएँ हो सकती हैं। इस प्रकार हममें से प्रत्येक व्यक्ति अद्वितीय होता है क्योंकि प्रत्येक व्यक्ति विभिन्न विशेषकों के विशिष्ट सम्मिश्रण को अभिव्यक्त करता है। आप प्रश्न कर सकते हैं कि प्रत्येक व्यक्ति क्यों और कैसे एक दूसरे से भिन्न हो जाता है। वस्तुतः इस प्रश्न से संबंधित विषयवस्तु ही व्यक्तिगत भिन्नताओं (individual differences) का अध्ययन कहा जाता है। मनोवैज्ञानिकों के लिए व्यक्तिगत भिन्नता का अर्थ है व्यक्तियों की विशेषताओं तथा व्यवहार के स्वरूपों में पाया जाने वाला वैशिष्ट्य तथा विचलनशीलता ।


कुछ मनोवैज्ञानिक यह विश्वास करते हैं कि हमारे व्यवहार हमारे व्यक्तिगत विशेषकों से प्रभावित होते हैं जबकि कुछ दूसरे मनोवैज्ञानिकों का विचार है कि हमारे व्यवहार स्थितिपरक कारकों से अधिक निर्धारित होते हैं। यह दूसरा मत स्थितिवाद (situationism) कहा जाता है जिसमें यह मान्यता है कि किसी व्यक्ति का व्यवहार उसकी परिस्थिति या वर्तमान दशाओं से प्रभावित होता है। एक व्यक्ति जो सामान्यतः आक्रामक प्रवृति का है, अपने सर्वोच्च अधिकारी की उपस्थिति में बहुत विनम्र व्यवहार करता है। कभी-कभी स्थितियों का प्रभाव इतना शक्तिशाली होता है


कि व्यक्तित्व के भिन्न-भिन्न विशेषकों को रखने वाले लोगों का व्यवहार लगभग समान होता है। स्थितिवादी परिप्रेक्ष्य बाह्य कारकों के प्रभाव को मनुष्य के व्यवहार के लिए अपेक्षाकृतअधिक प्रभावकारी मानता है।


मनोवैज्ञानिक गुणों का मूल्यांकन

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व्यक्ति के मनोवैज्ञानिक गुणों का संबंध बहुत सरल घटना, जैसे- किसी उद्दीपक के प्रति अनुक्रिया करने में लगने वाला समय अर्थात प्रतिक्रिया काल से भी होता है और व्यापक संप्रत्यय, जैसे- प्रसन्नता से भी होता है। मापन करने बहुत अधिक योग्य समस्त मनोवैज्ञानिक गुणों को परिभाषित करना और उनकी सूची बना पाना एक कठिन कार्य है। किसी मनोवैज्ञानिक गुण को समझने का पहला चरण उसका मूल्यांकन (assessment) करना है। मूल्यांकन करने का अर्थ व्यक्ति के मनोवैज्ञानिक गुणों का मापन करने से है। मापन के अंतर्गत व्यक्तियों के गुणों की तुलना करने की अनेक मानक विधियाँ अपनाई जा सकती हैं। किसी व्यक्ति में किसी गुण की उपस्थिति तभी स्वीकार की जाती है जब उस गुण का किसी • वैज्ञानिक विधि से मापन किया जा सके। उदाहरण के लिए जब हम कहते हैं कि 'हरीश एक प्रभावी व्यक्ति है' तो हम हरीश में 'प्रभाविता' होने की मात्रा का संकेत करते हैं। हरीश के बारे में हमारा यह कथन उसमें 'प्रभाविता' होने के गुण का हमारे द्वारा किए गए मूल्यांकन का परिणाम है। किसी गुण का मूल्यांकन अनौपचारिक अथवा औपचारिक हो सकता है। औपचारिक मूल्यांकन वस्तुनिष्ठ, मानकीकृत तथा व्यवस्थित रूप में किया जाता है। दूसरी ओर अनौपचारिक मूल्यांकन जिन व्यक्तियों का किया जाना है उनके बदल जाने से तथा मूल्यांकन करने वाले व्यक्तियों के बदल जाने से परिवर्तित होता रहता है जिससे प्राप्त परिणाम या मूल्यांकन की व्यक्तिनिष्ठ व्याख्या होने लगती है। मनोवैज्ञानिक गुणों के औपचारिक मूल्यांकन के लिए मनोवैज्ञानिकों को प्रशिक्षित किया जाता है।



मूल्यांकन कर लेने के पश्चात प्राप्त सूचना के आधार पर

हम हरीश द्वारा भविष्य में किए जाने वाले व्यवहारों का

पूर्वकथन कर सकते हैं। हम यह पूर्वकथन कर सकते हैं कि

यदि भविष्य में हरीश को किसी दल का नेतृत्व करने का

अवसर दिया गया तो उसके एक सत्तावादी नेता होने की


संभावना अधिक होगी। यदि हमें यह पूर्वकथन के अनुसार उत्पन्न स्थिति ग्राह्य नहीं है तो हम इसमें हस्तक्षेप करते हुए हरीश के व्यवहारों में परिवर्तन लाने का प्रयास कर सकते हैं। मूल्यांकन किए जाने के लिए किसी गुण का चयन हमारे उद्देश्यों पर निर्भर करता है। यदि हम किसी कमज़ोर विद्यार्थी द्वारा परीक्षा में अच्छा निष्पादन करने में सहायता करना चाहते हैं तो हमें उसकी बौद्धिक शक्ति तथा कमज़ोरियों का मूल्यांकन करना होगा। यदि कोई व्यक्ति अपने परिवार तथा पड़ोस के सदस्यों के साथ समायोजन नहीं कर पा रहा है तो हम उसके व्यक्तित्व विशेषकों के मूल्यांकन पर विचार कर सकते हैं। यदि किसी व्यक्ति में अभिप्रेरणा की मात्रा बहुत कम है तो हम उसकी अभिरुचियों तथा वरीयताओं का मूल्यांकन कर सकते हैं। व्यक्तियों की योग्यताओं, व्यवहारों, और व्यक्तिगत गुणों के मनोवैज्ञानिक मापन में व्यवस्थित परीक्षण की विधियों का उपयोग किया जाता है।








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